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दैवव्य पाश्रय चिकित्सा (आध्यात्मिक पद्धति से मानव शरीर को स्वास्थ्य प्रदान करने की एक अनूठी प्राचीनतम विश्वसनीय विद्या)दैवव्य पाश्रय चिकित्सा (आध्यात्मिक पद्धति से मानव शरीर को स्वास्थ्य प्रदान करने की एक अनूठी प्राचीनतम विश्वसनीय विद्या)

महान् ऋषि चरक एवं ऋषि सुश्रुत सहित सत्रह ग्रन्थों (जैसे चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, अष्टांगसंग्रह, भैषज्यरत्नावली, आरोग्य कल्पद्रुम, वैद्यक चमत्कार चिंतामणि, अष्टांगहृदयम, रसरत्नसमुच्य आदि) में एवं उन्नीस सहायक ग्रन्थों (जैसे कामरत्न तंत्र, योगरत्नाकरः, रसतरंगिनी, योगचिंतामणि, रसरत्नाकर आदि) में दैवव्य पाश्रय की महिमा उल्लेखित है । भारत सरकार के बी.ए.एम.एस के पाठ्यक्रम में भी इस चिकित्सा पद्धति की महिमा एवं लाभ का उल्लेख है  जिस का निचोड़ जन-मानस के हित में प्रस्तुत है। ।

स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से शरीरिक एवं मानसिक बीमारियों को तीन कारणों से उत्पन्न होना बताया गया है :

  1. कर्मज – अर्थात् पूर्व जन्मों के कर्मों से बने रोग
  2. दोषज – अर्थात् त्रिदोष (वात, पित्त एवं कफ) के कारण
  3. कर्म दोषज – अर्थात् कर्मों एवं त्रिदोष, दोनों के कारण

समस्त बीमारियों का इलाज दो तकनीकों के माध्यम से होना बताया गया है:

  1. युक्तिव्य पाश्रय (जिस में वैद्य अथवा डॉक्टर द्वारा बीमारी का विष्लेषण करना तथा दवाओं द्वारा इलाज करना अन्तर्गत है)
  2. दैवव्य पाश्रय (जिस में विधिवत प्रकार से देवताओं की शरण में जाने से बीमारियों का इलाज होता है। यहां उपचार की विधि मंत्रों, प्रार्थनाओं, औषधि धारण, यज्ञ, नियम, प्रायश्चित, उपवास एवं आस्था के द्वारा उत्पन्न ऊर्जाओं के माध्यम से एवं कृपा से होना बताया गया है)

हर शास्त्र में कई बार यह बताया गया है कि जो रोग दवाओं से ठीक नहीं होते हैं, इनके लिए केवल दैवव्य पाश्रय विधि द्वारा अचूक  चिकित्सा है।

आप को जान कर यह आश्चर्य होगा कि देश-विदेश की जानी मानी हस्तियां दैवव्य पाश्रय की शरण में जा कर उस विधि का अनुपालन कर के जीवन को बदलने वाले परिणाम प्राप्त कर चुके हैं। उदाहरण के लिए जैसे नीमकरोली बाबा की शरण में जा कर स्टीव जॉब्स (एप्पल कंपनी के संस्थापक) एवं मार्क ज़ुकेरबर्ग (फेसबुक कंपनी के संस्थापक) का जीवन बदल गया था। अमेरिका के राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा जी हनुमान भक्त हैं एवं विशिष्ट हनुमान मंत्रों से निरंतर मंत्रजाप करते हैं। भारत देश के यशस्वी प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने विश्व में देवताओं की कृपा से ही अद्भुत उपलब्धि प्राप्त की है। अपने कई साक्षात्कारों में सभी ने अपनी सफलता के पीछे देवताओं की कृपा की स्तुति एवं आशीर्वाद होना बताया है।

दैवव्य पाश्रय में मंत्रोच्चार एवं यज्ञ, हवन इत्यादि करने की विधि का सही अनुपालन करते हुए पूज्य बाबा रामदेव जी महाराज ने अर्श से फ़र्श तक का सफर तय किया है।

डॉ अजय मगन के अनुसार दैवव्य पाश्रय चिकित्सा का ज्ञान केवल महाब्रह्मर्षियों के पास ही था. यह चिकित्सा पद्धति कर्म के सिद्धांत पर आधारित है. वैदिक मंत्र कहते हैं, “पूर्व जन्म कृतं पापं व्याधि रूपेण भद्यते”, अर्थात् पूर्व जन्म के कर्म वर्तमान जीवन में रोग के रूप में प्रकट होते हैं।

इस विधि के द्वारा ही पूज्य ब्रह्मर्षि कुमार स्वामी जी मंत्रों द्वारा अनेकों असाध्य रोगों का सरलता से उपचार करते रहे हैं। मुझे आश्चर्य हुआ जब मात्र एक साधारण जल में दैवव्य पाश्रय कृपा के माध्यम से ऊर्जा डाल कर उन्होंने यू.टी.आई और सोरायसिस जैसी लाइलाज बीमारी ठीक कर के दिखाई। जब उन श्री से मेरा साक्षात्कार हुआ तब उन्होंने मुझे बताया कि यह बीमारी उन्होंने ठीक नहीं करी बल्कि माँ दुर्गा एवं भगवान् शिव जी की कृपा प्राप्त करने के लिए उन्होंने कुछ गोपनीय मंत्रों का जाप किया एवं वह ऊर्जा उस जल में प्रवाहित करी जिस से वर्षों से पीड़ित असाध्य रोग के रोगी को तुरंत लाभ हो गया।

इस सारे लेख को लिखने का उद्देश्य आम जन-मानस में एवं ख़ास तौर पर आने वाली पीढ़ी के बच्चों में दैवव्य पाश्रय के प्रति आस्था एवं जागरूकता बढ़ाने का एक प्रयास है। हम सौभाग्यशाली हैं कि भारत वर्ष में हमारा जन्म हुआ है और इस विधि द्वारा हमें शारीरिक रोग, मानसिक रोग, आर्थिक रोग, रिश्तों के रोगों से सरलता से मुक्ति मिल सकती है।

आने वाले लेखों में एक-एक समस्या को ले कर दैवव्य पाश्रय की एक-एक विधि का उल्लेख करने का प्रयास करूंगा जिससे एक सकारात्मक समाज का निर्माण हो सके।

डॉ. अजय मगन

(अंतर्राष्ट्रीय ब्रह्मांडीय ऊर्जा उपचारक / INTERNATIONAL COSMIC ENERGY HEALER)

Email: ajaymagan10@gmail.com

By Chetna Sharma

Chetna Sharma is a prominent author known for her expertise in the realm of entertainment news.

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